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बोलिंजर बैंड्स इंडिकेटर क्या है? पूरी जानकारी | Bollinger bands Indicator In Hindi

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हेलो ट्रेडर्स इस आर्टिकल में हम आपको बोलिंजर बैंड्स इंडिकेटर (Bollinger bands Indicator In Hindi) के बारे में बताने वाले हैं बोलिंजर बैंड्स इंडिकेटर क्या है और इसका उपयोग कैसे करें एवं इस इंडिकेटर का ट्रेडिंग में क्या उपयोग है और बॉलिंजर बैंड्स इंडिकेटर कैसे काम करता है पूरी जानकारी इस लेख में विस्तार से बताने वाले हैं।

अगर आप स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट या ट्रेडिंग करते हैं तो ट्रेडिंग के लिए टेक्निकल एनालिसिस आपके लिए बहुत जरूरी है और टेक्निकल एनालिसिस से कई इंडिकेटर होते हैं जो मार्केट की दिशा को बताते हैं इन्हीं में से एक सबसे प्रचलित और पॉपुलर Bollinger bands इंडिकेटर है। तो आइए जानते हैं बोलिंजर बैंड्स इंडिकेटर के बारे में विस्तार से- 

बोलिंजर बैंड्स इंडिकेटर क्या है | What is Bollinger bands Indicator in Hindi

टेक्निकल एनालिसिस से संबंधित टॉपिक और बहुत से इंडिकेटर में से बॉलिंजर बैंड्स इंडिकेटर एक बहुत ही प्रचलित और किसी भी स्टॉक की दिशा को बताने वाला और ट्रेडर्स का सबसे पसंदीदा एंटीकेटर है। Bollinger bands Indicator का इन्वेंशन जॉन बोलिंजर ने सन 1980 में किया था।

Bollinger bands Indicator का इस्तेमाल इन्वेस्टर और ट्रेडर स्टॉक मार्केट फॉरेन मार्केट और क्रिप्टो मार्केट में किया जाता है। इस इंडिकेटर का उपयोग आपको एक सफल ट्रेडर बनाने में बहुत मदद करता है और यह स्टॉक मार्केट की दिशा तो बताता है।

Bollinger bands Indicator

Bollinger bands Indicator में 3 लाइनें होती हैं जिसमें ऊपर वाली लाइन को Upper Band नीचे वाली लाइन को Lower Band और बीच वाली लाइन को Middle Band कहते हैं बीच वाली लाइन SMA यानी कि सिंपल मूविंग एवरेज होता है और अपर बैंड एवं लुवर बैंड मूविंग एवरेज का स्टैंडर्ड डिवीजन दर्शाते हैं। Standard Deviation का मतलब सिंपल मूवी एवरेज और उसमें ली गई वैल्यू का डिफरेंस होता है। जैसा कि ऊपर इमेज में दिखाया गया है।

बोलिंजर बैंड्स इंडिकेटर काम कैसे करता है | How does the Bollinger Bands indicator work?

जैसा कि हमने आपको बताया कि Bollinger bands Indicator में 3 लाइनें होती है जब मार्केट बहुत High Volatility होती है तब अपर बैंड और लोअर बैंड के बीच की दूरी बढ़ जाती है और जब Low Volatility होती है तो अपर बैंड और लोअर बैंड के बीच की दूरी कम हो जाती है।

जब मार्केट में Normal Volatility होती है तब यह दोनों बैंड एक दूसरे के मूवी एवरेज के समान होते हैं। एवं इसी से मार्केट में क्या होने वाला है इसका संकेत मिलता है।

बोलिंजर बैंड्स इंडिकेटर का इस्तेमाल कैसे करें | How to Use Bollinger bands Indicator in hindi

अगर आप Bollinger bands Indicator का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आप अपने ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर की इंडिकेटर ऑप्शन पर क्लिक करें।

अब आपके सामने सर्च पेज खुलेगा वहां पर आप ‘Bollinger bands’ सर्च करें जब सर्च में आपके पास इंडिकेटर आ जाए तो उस पर क्लिक करें।

अब आपके ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर में बॉलिंजर बैंड्स इंडिकेटर एक्टिवेट हो जाएगा और आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं आमतौर पर इसके मूविंग एवरेज की लेंथ 20 दिनों की होती है आप इसे अपने हिसाब से चेंज कर सकते हैं।

Also Read- Option Trading क्या है पूरी जानकारी

बोलिंजर बैंड्स ट्रेडिंग रणनीति | Bollinger bands Trading strategy In Hindi 

बॉलिंजर बैंड्स का इस्तेमाल करके अगर आप ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो हम आपके लिए बॉलिंजर बैंड्स इंडिकेटर को यूज करके एक ट्रेडिंग स्ट्रेटजी के बारे में बताने वाले हैं। लेकिन इससे पहले ध्यान रखने वाली बात यह है कि इंडिकेटर केबल मार्केट में होने वाले बदलाव के संकेत देता है ना कि आपको ट्रेडिंग करने के लिए प्रेरित करता है। इसीलिए ट्रेडिंग में होने वाले मुनाफे या नुकसान के जिम्मेदार आप ही होते हैं।

तो चलिए जानते हैं बॉलिंजर बैंड्स इंडिकेटर की एक ट्रेडिंग स्ट्रेटजी के बारे में विस्तार से।

सबसे पहले आप अपने ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर में अपने पसंदीदा स्टॉक या फिर किसी फ्यूचर और ऑप्शन को लीजिए और उसमें 1Day का नॉरमल कैंडलेस्टिक पेटर्न का इस्तेमाल करिए और बॉलिंजर बैंड्स इंडिकेटर को अप्लाई कीजिए। अब आपके सामने आपका ट्रेडिंग सेटअप तैयार है अब आपको बाइंग और सेलिंग अपॉर्चुनिटी देखना है जो कि नीचे हमने बताए हैं।

खरीदारी का अवसर | buying opportunity

जब भी कोई कैंडल Lower Band के नीचे बंद होती है तो इस समय शेयर का प्राइस ओवरसोल्ड होता है और एक अच्छी खरीदारी का अवसर होता है आप दूसरी कैंडल में खरीदारी कर सकते हैं और आपका स्टॉप लॉस उस कैंडल का Low होगा जिस कैंडल ने Lower Band के नीचे क्लोज किया है और आपका टारगेट Upper Band तक ले सकते हैं। जैसा कि ऊपर इमेज में दिखाया गया है।

बिकवाली का अवसर | selling opportunity

जब भी कोई कैंडल Upper Band के ऊपर बंद होती है तब शेयर का भाव ओवर बाइंग होता है और एक अच्छी बिकवाली का अवसर होता है आप इस समय बिकवाली कर सकते हैं आप उस कैंडल के बंद होने के बाद दूसरी कैंडल में बिकवाली कर सकते हैं और आपका स्टॉप लॉस उस कैंडल का High होगा जिसने अपर बैंड के ऊपर क्लोज किया है और आप टारगेट लोअर बैंड तक ले सकते हैं। जैसा कि ऊपर इमेज में दिखाया गया है।

Bollinger bands क्या है और ट्रेडिंग स्ट्रेटजी से संबंधित वीडियो

अगर आप Bollinger bands Indicator क्या है और इस इंडिकेटर की ट्रेडिंग स्ट्रेटजी क्या है इसे और आसानी से समझना चाहते हैं तो नीचे दी गई वीडियो को ध्यान से देखें-

Bollinger bands Indicator Related FAQ

बोलिंगर बैंड इंडिकेटर क्या है?

बॉलिंजर बैंड्स इंडिकेटर एक बहुत ही प्रचलित और किसी भी स्टॉक की दिशा को बताने वाला और ट्रेडर्स का सबसे पसंदीदा एंटीकेटर है। Bollinger bands Indicator का इन्वेंशन जॉन बोलिंजर ने सन 1980 में किया था।

मुझे बोलिंगर बैंड कब खरीदना चाहिए?

जब भी कोई कैंडल Lower Band के नीचे बंद होती है तो इस समय शेयर का प्राइस ओवरसोल्ड होता है और एक अच्छी खरीदारी का अवसर होता है।

कौन सा बोलिंगर बैंड सबसे अच्छा है?

सबसे अच्छा Normal Settings वाला Bollinger bands Indicator है।

क्या Bollinger bands Indicator का इस्तेमाल करके ऑप्शन ट्रेडिंग कर सकते हैं?

Yes

ट्रेडर्स तो यह थी बोलिंगर बैंड इंडिकेटर (Bollinger bands Indicator in Hindi) के बारे में जानकारी आशा करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आ गया होगा और इस इंडिकेटर से संबंधित कोई और सवाल है तो आप हमें कमेंट करके बताइए और ऐसे ही शेयर मार्केट से संबंधित जानकारी पाने के लिए इस ब्लॉग के और आर्टिकल को पढ़िए और इस लेख को अपने दोस्तों के साथ शेयर करिए।

Pushpendra Morya
Pushpendra Moryahttps://tradeyukti.com
साथियों मेरा नाम पुष्पेंद्र मौर्य है और मैं शेयर मार्केट में लगभग 3 वर्ष से काम कर रहा हूं और मैं आपके ब्लॉग के माध्यम से शेयर मार्केट के बारे में जानकारी प्रदान करना मुझे अच्छा लगता है इसलिए मैं यहां पर शेयर मार्केट और ट्रेडिंग से संबंधित जानकारियां आपके साथ शेयर करता रहूंगा।

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