दोस्तों, आज आर्टिकल के अंदर हम आपको पियर्सिंग कैंडलस्टिक पैटर्न के बारे में कुछ बताने वाले हैं, हमने आपको पहले कई Candlestick पैटर्न के बारे में बताया है, और आज भी हम आपको उसी के एक प्रकार जिसका नाम है “Piercing Candlestick Pattern“, उसके बारे में आपको इस आर्टिकल के अंदर हम पूरी जानकारी देंगे, Candlestick पैटर्न का इस्तेमाल हम शेयर मार्केट के अंदर करते हैं, जब भी हमें किसी शेयर की Value का पता लगाना होता है, तो हम Candlestick पैटर्न का ही इस्तेमाल करते हैं, कैंडलेस्टिक पेटर्न बहुत प्रकार के होते हैं, उन्हीं में से एक प्रकार का वर्गीकरण आज के हम इस आर्टिकल में करेंगे, Candlestick पैटर्न हमें शेयर की वैल्यू जो भविष्य में होने वाली है, उस की थोड़ी संभावना बताते हैं।
यानी जब हम Candlestick पैटर्न को देखते हैं, तो हमें शेयर की Value का पहले से ही अंदाजा हो जाता है, छोटे शब्दों में आप यह कह सकते हैं कि, जितने भी इन्वेस्टर होते हैं, वह सबसे पहले कैंडलेस्टिक पेटर्न का इस्तेमाल करते हैं, वह जब भी शेयर मार्केट के अंदर इन्वेस्ट करते हैं, तो वह सबसे पहले उस शेयर का पहले का प्राइस और जो वर्तमान समय में चल रहा है, उसका प्राइस का Graph देखते हैं, उसी Graph को कैंडलस्टिक पैटर्न कहते हैं, तो अब आप समझ गए होंगे कि, Candlestick पैटर्न क्या होता है, अब हम आपको Piercing कैंडलेस्टिक पेटर्न के बारे में कुछ जानकारियां देंगे, इन जानकारियों को समझकर आप शेयर मार्केट से एक अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
What is the Piercing Candlestick Pattern on the basis of trading | पियर्सिंग कैंडलेस्टिक पेटर्न में ट्रेडिंग
पियर्सिंग कैंडलेस्टिक पेटर्न एक प्रकार से एंगलफिंग की तरह होता है, एंगलफिंग Pattern पिछले दिन हुई शेयर की वैल्यू को पूरी तरह से ढक देता है यानी यह आपको शेयर की पहले की वैल्यू को नहीं दिखाता, इसके विपरीत Piercing Candlestick पैटर्न उसे पूरी तरह से नहीं डगता, वह उसको उसकी थोड़ी झलक आपको दिखाता है, यानी आप यह कह सकते हैं कि, इसके अंदर पीछे की शेयर की वैल्यू का अंदाजा हो जाता है और इसकी एक और खास बात होती है कि, जब मार्केट के अंदर तेजी होती है तो, यह कैंडल विपरीत की ओर बनाता है, यानी आप समझ गए होंगे कि, जब मार्केट में तेजी होगी, तो कैंडल विपरीत होगी परंतु जब मार्केट के अंदर मंदी होगी, तो कैंडल की दिशा विपरीत नहीं होगी, यानी जो कैंडल का आकार होगा, वह विपरीत की ओर नहीं जाएगा, तो इसे ही Piercing Candlestick Pattern कहते हैं, अब हम आपको एक उदाहरण के साथ समझाते हैं
मान लीजिए कि, मार्केट गिर रहा है और उस समय आपने एक लाल कैंडल बनाई है, तो इसके विपरीत Piercing कैंडल हरा होगा, यानी इस समय खरीदारों की संख्या ज्यादा होगी, इसके विपरीत बेचने वालों के, तो इस समय पर इस कैंडलेस्टिक पेटर्न का निर्माण होगा, तो अब आप समझ गए होंगे कि, यह कैंडल स्टिक पैटर्न कब और कहां बनता है।
Trading in Bullish Or Bearish Piercing Pattern | बुलिश और बारिश पियर्सिंग पैटर्न
Bullish का मतलब होता है कि, जब मार्केट तेजी की ओर जाए, इसके विपरीत Bearish का मतलब होता है कि, जब मार्केट मंदी की ओर जाए, जब मार्केट की वैल्यू कम पर बंद हो और ज्यादा पर खुले तो इसका मतलब है कि, वहां पर आप किसी भी चीज का अंदाजा नहीं लगा सकते, पर हम आगे के आर्टिकल के अंदर इसके बारे में पूरा बताएंगे और आप मेरा विश्वास करिए कि, जब आप इस आर्टिकल को पढ़कर समझ लेंगे, तो आप एक अच्छे इन्वेस्टर बन जाएंगे और आपको शेयर मार्केट में एक अच्छी सफलता मिलेगी।
Bullish पैटर्न के अंदर आप रिस्क ले सकते हैं, यानी यह आपके लिये एक अच्छ फायदेमंद deal होगी और आप बारिश पैटर्न के अंदर भी रिस्क ले सकते हैं, पर इसके लिए आपको विभिन्न बातों का ध्यान रखना होगा, जो कि हम आपको आगे बताएंगे और यह भी बताएंगे कि, रिस्क लेने वाले ट्रेडिंग क्या होती है और बिना रिस्क के आप कैसे ट्रेडिंग कर सकते हैं।
Risk in Trading Of Piercing Pattern। रिस्क लेने वाली ट्रेडिंग
रिस्क लेने वाले ट्रेडर यह देखते हैं कि, यह पैटर्न किस दिन बन रहा है, वह उसी समय एक इन्वेस्टमेंट कर देते हैं और उनकी सोच यह होती है कि, अब मार्केट का मूड बदल रहा है और यह आगे आने वाले समय के अंदर इनको एक अच्छा प्रॉफिट निकाल कर देगा और इसी उम्मीद के साथ वह उस दिन इन्वेस्टमेंट कर देते हैं, जब मार्केट में इस पैटर्न का निर्माण होता है।
जो उन्होंने इन्वेस्टमेंट की है, उसके अंदर रिस्क यह होता है, कि यदि उनका सौदा गलत हुआ, तो यानी जो उन्होंने इन्वेस्टमेंट की है, वह गलत निकल गई तो क्या होगा, क्योंकि मैंने आपको यह पहले भी बताया था कि, जब भी मार्केट की दिशा एक और होती है, तो बुल्स पैटर्न का निर्माण होता है और दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि, यह उनके लिए एक प्रॉफिट बुकिंग भी है।
यदि हम यह सोचे कि, रिस्क लेने वाले ट्रेडर अगले दिन सही साबित होते हैं, यानी अगले दिन मार्केट का मूड बदल जाता है और वह उनको एक अच्छा प्रॉफिट देकर जाता है, तो आप यह सोच सकते हैं कि, जो जितना बड़ा रिस्क लेगा, उसके लिए उतनी ही अच्छा प्रॉफिट होगा, पर उसको इस बात का जरूर ध्यान रखना है कि, जब वह इन्वेस्टमेंट कर रहा है, तो Piercing Candlestick पैटर्न को देखकर ही करें, वरना भविष्य के अंदर उसके लिए समस्याएं खड़ी हो जाएगी।
उदाहरण के लिए आप यह सोच सकते हैं, कि एक कंपनी का शेयर लगातार कई दिनों से नीचे की ओर जा रहा है और Piercing कैंडलेस्टिक पेटर्न का निर्माण भी हो रहा है, तो एक व्यक्ति इस उम्मीद से शेयर ले लेता है कि, आगे आने वाले समय के अंदर मार्केट का मूड बदलेगा और इसके अंदर पेरिस कैंडलेस्टिक पेटर्न का भी निर्माण हुआ है, तो फ्यूचर के अंदर यह उसको एक अच्छा मुनाफा देगा और दो-तीन दिन के बाद कुछ ऐसा ही होता है, वह शेयर एक लंबी दौड़ लगाता है और आगे आने वाले समय के अंदर उस व्यक्ति को एक अच्छा मुनाफा निकाल कर देता है, तो इस प्रकार रिस्क लेने वालों के लिए यह पैटर्न बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है, क्योंकि इस पैटर्न को देखकर वह रिस्क ले सकते हैं और एक अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं।
Concept Of No Risk। रिस्क से बचना पियर्सिंग पैटर्न
रिस्क से इससे बचने वाली ट्रेडिंग के अंदर आप शेयर को अगले दिन खरीदते हैं, जब उसका प्राइस बढ़ रहा होता है, मान लीजिए कि, उस दिन किसी शेयर का प्राइस ₹25 तक बढ़ गया है, तो अब आप को अंतिम प्राइस पर कम रुपए का फायदा होगा, यानी इसके अंदर रिस्क तो कम होता है, परंतु इसका Profit भी कम ही आता है, यदि आप इसके विपरीत पहले शेयर को खरीद लेते, तो आप का मुनाफा भी बढ़ जाता, यानी जब तक आप रिस्क नहीं लेंगे, तब तक आप एक अच्छा मुनाफा नहीं कमा पाएंगे।
इस ट्रेडिंग के अंदर Trader यह देखते हैं कि, अगले दिन जब मार्केट खुली है, तो यह पैटर्न वास्तव में काम कर रहा है या नहीं, वह यह सोचते हैं कि कहीं यह पैटर्न ग्लोबल मार्केट के नीचे जाने से तो नहीं बना है, यदि यह पैटर्न अगले दिन काम करता है, तभी यह ट्रेडर इसके अंदर इन्वेस्ट करते हैं, यानी इसके अंदर रिस्क बहुत ज्यादा कम होता है, पर यह भी एक प्रॉफिट बुकिंग की तरह ही कार्य करता है।
इस ट्रेडिंग के अंदर रिस्क तो कम होता ही है, इसके साथ आपका नुकसान भी कम होता है और मार्केट की दुनिया में यह माना जाता है कि, जब तक आपके पास पैसे हैं, तो आप मार्केट के अंदर बने हुए हैं, यानी आपको मार्केट के अंदर कम से कम नुकसान करना है, चाहे आपको Profit कम हो, परंतु आपको नुकसान की अपेक्षा हमेशा ही कम रखनी है और चाहे इसके लिए आपको रिस्क थोड़ा लेना पड़े।
जितना ज्यादा समय आप मार्केट के अंदर ट्रेडिंग के दौरान गुजारते हैं, आप इतने ज्यादा मार्केट के अंदर निपुण होते जाते हैं, यानी आपको रिस्क कम लेकर मार्केट को ज्यादा समझना है, तो इससे आपको यह फायदा होगा कि, आप मार्केट के अंदर ज्यादा समय तक टिक पाएंगे, जो आपके लिए भविष्य में ट्रेडिंग करने के बहुत काम आएगा।
Stop-lose in Piercing Pattern पियर्सिंग पैटर्न में स्टॉपलॉस
जब हम Stop-loss को Piercing Candlestick पैटर्न के अंदर दिखाते हैं, तो इसका मतलब होता है कि, जब मार्केट के अंदर गिरावट आती है, तो उस समय कैंडल Low की और जाना चाहिए और जब मार्केट का प्राइस बड़े तो कैंडल High की ओर दिखाई देना चाहिए, तब इसको हम Piercing Candlestick Pattern का Stop-loss कहते हैं, Stop-Loss का मतलब, तो आप लोग सभी समझते ही होंगे कि, जो आपको हाई और लो के माध्यम से शेयर के प्राइस को दिखाता है।
Conclusion:-
आज के इस आर्टिकल के अंदर हमने आपको Piercing Candlestick Pattern से संबंधित सभी जानकारियां बताइए, यदि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया हो, तो इसे अपनी सोशल मीडिया साइट पर ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और कोई भी समस्या होने पर आप हमें कमेंट करके पूछ सकते हैं, हम आपके कमेंट का जल्द से जल्द रिप्लाई करने की कोशिश करेंगे।
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